ख़ुदा का आज पैदा पैग़म्बर हुआ ।
नबी का आख़िरी ये नम्बर हुआ ।।
मोहम्मद ने पहला क़दम जब रखा ।
जमीं ख़ुश हुयी और अम्बर हुआ ।।
भाई - चारे से रहना जब सिखलाया उसने ।
खुराफ़ातियों का मन फिर दिगम्बर हुआ ।।
बज़्म - ए - नबी की जो आया कभी भी ।
वो पत्थर नहीं संगमरमर हुआ ।।
ख़ुदा ने मुझको इतना दिया ।
कि "सागर" भी अब तो समन्दर हुआ ।।
सभी को जश्न - ए - ईद मिलाद - उन - नबी मुबारक़ हो।
नबी का आख़िरी ये नम्बर हुआ ।।
मोहम्मद ने पहला क़दम जब रखा ।
जमीं ख़ुश हुयी और अम्बर हुआ ।।
भाई - चारे से रहना जब सिखलाया उसने ।
खुराफ़ातियों का मन फिर दिगम्बर हुआ ।।
बज़्म - ए - नबी की जो आया कभी भी ।
वो पत्थर नहीं संगमरमर हुआ ।।
ख़ुदा ने मुझको इतना दिया ।
कि "सागर" भी अब तो समन्दर हुआ ।।
सभी को जश्न - ए - ईद मिलाद - उन - नबी मुबारक़ हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें