शनिवार, 27 सितंबर 2014

पल भर के लिए ही सही पर हँसा जाते हैं

वो पहले मुझसे दिल को लगा जाते हैं।
हँसाते हुए मुझको फिर रुला जाते हैं।।
दूसरों को ठोकर लगते देख सम्भल जाता हूँ मैं।
फिर भी कभी - कभी धोखा हम खा ही जाते हैं।।
वो जब भी गुजरते हैं सामने से मेरे।
कुछ न कुछ तो मुझको समझा ही जाते हैं।।
जिसे देखना भी नहीं चाहते हम सपने में।
ऐसे ख़्वाब कभी - कभी आ ही जाते हैं।।
पल वो प्यार के जब भी याद आते हैं मुझे।
पल भर के लिए ही सही पर हँसा जाते हैं।।

इसके बाद दिल की कोई तमन्ना नहीं होगी

मालुम नहीं है तुमको मै कितना प्यार कर रहा हूँ।
बेसब्री से तुम्हारे इक़रार का इंतज़ार कर रहा हूँ।।
कैसे गुजरते हैं पल मेरे फ़िराक़ में तेरे।
तुम सामने नहीं फिर भी तेरा दीदार कर रह हूँ।।
दिल में उठते हुए तूफां को अब रोक नहीं सकता।
इसलिए अपने प्यार का इज़हार कर रहा हूँ।।
तुम्हारे बाद मेरी ज़िंदगी में नहीं कोई दूसरा होगा।
इस बात से मैं नहीं इन्कार कर रहा हूँ।।
शिवाय ग़म को छोड़कर अब कुछ हमारा नहीं रहा।
अपनी सारी खुशियाँ तुम पर निसार कर रहा हूँ।।
इसके बाद दिल की कोई तमन्ना नहीं होगी।
तुम एक बार कह दो मैं भी प्यार कर रहा हूँ।।

बुधवार, 17 सितंबर 2014

चाहा जिसको हमने

चाहा  जिसको हमने  जफ़ा  उसने  की ।
उसको अपना बनाकर खता हमने की ।।
मुझको  रुलाकर  वो   खुश  हो  रहे  थे ।
उन्हें खुश रहने की फिर भी दुआ हमने की ।।

शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

हर रिश्ते का अहसास कराती है दोस्ती

हर रिश्ते का अहसास कराती है दोस्ती ।
मुसीबत में काम आती है दोस्ती ।।
आने से दोस्त के हसरत हो जाती है पूरी ।
खुशियों में चार चाँद लगाती है दोस्ती ।।
दुनियाँ से जब भी मैं हो जाता बेख़बर ।
हमको हमारी याद दिलाती है दोस्ती ।।
मुँह अपने मोड़ लेते तब दोस्त होता साथ ।
मुश्किल घड़ी में फ़र्ज़ निभाती है दोस्ती ।।
कुछ माँगो न खुदा से एक दोस्त माँग लो ।
खुशियों के जंगल में लाती है दोस्ती ।।
दोस्तों को छोड़ चले आये हम परदेश ।
यहाँ याद बहुत हमको आती है दोस्ती ।।

रविवार, 7 सितंबर 2014

उसकी यादों ने आँखों को नम कर दिया

उसकी   यादों   ने   आँखों   को   नम  कर  दिया ।
याद   करना    उसे    हमने    कम    कर    दिया ।।
ठण्डी     काया   मेरी    जब    भी     होने     लगी ।
उसने   आकर   के   फिर   से   गरम  कर  दिया ।।
अब   तो   ऐतबार    करने    में    देर   लगता   है ।
मेरे   दिल   में   पैदा   उसने   भरम   कर   दिया ।।
वो     सितम     ढाने     वाले      सितमगर     हुए ।
प्यार मुझसे ही करके मुझ पर सितम कर दिया ।।
सर  उठा   कर   जो   जीने   की   बात   करते   थे ।
सर   उठा   कर   चले   तो    कलम    कर   दिया ।।
'सागर'    अदा    करता    है   खुदा    का   शुक्रिया ।
मुझको  ज़िंदा रखकर  मुझ पर  रहम  कर  दिया ।।

हर मुश्किल आपके सामने नाकाम हो

हर   मुश्किल   आपके   सामने   नाकाम    हो ।
कदम - कदम पे आपको दुनियाँ का सलाम हो ।।
तुम  बन जाओ तमन्ना  ये  तमन्ना  है  हमारी ।
जर्रे   -   जर्रे    पर    तुम्हारा    ही    नाम    हो ।।

इस जहाँ में आपका नाम हो

इस     जहाँ     में     आपका     नाम    हो     जाये ।
तकदीर       आपकी      गुलाम       हो        जाये ।।
खुदा      से      फ़रियाद       हम      करेंगे      यही ।
आपकी ज़िंदगी जगमगाती रहे चाहे शाम हो जाये ।।

तुम्हारी हसरतों को

तुम्हारी हसरतों को पूरा  खुदा कर दे ।
दर्द - ए - ग़म को तुमसे  जुदा कर दे ।।
दुःख  दर्द  का  तुम्हें  अहसास  न  हो ।
सारी खुशियों को तुम पर अदा कर दे ।। 

शनिवार, 6 सितंबर 2014

ये ज़िंदगी कदम - कदम नगमा सुनाती है

ठोकर        इंसान      को       चलना      सिखाती    है ।
पल  भर  के  लिए  आकर  ख़ुशी   हँसना  सिखाती  है ।।
बेशुमार        नाज़      करती      ज़िंदगी     खुद    पर ।
मौत       ज़िंदगी       को       डरना      सिखाती      है ।।
तुमको समझ नहीं सकता जिसने किया नहीं है प्यार ।
मोहब्बत   भावनाओं   की   क़दर  करना  सिखाती  है ।।
लिखता    है   सुनकर   शायर   ज़िंदगी   का    तजुर्बा ।
ये    ज़िंदगी    कदम  -  कदम    नगमा    सुनाती   है ।।
हम     तो     शुमार    थे     इंसानों    की     भीड़     में ।
मेरे   दर्द   की   इन्तेहाँ   मुझे   लिखना   सिखाती   है ।।