रविवार, 5 अक्तूबर 2014

शरमाना हमने कम कर दिया ।

बेशरम - बेशरम - बेशरम कर दिया ।
इस मोहब्बत ने हमको बेशरम कर दिया ।।
खुलेआम उनसे हम मिलने लगे ।
बहारों में फूल अब खिलने लगे ।।
उसके बिना कहीं भी दिल न लगे ।
दिल  में  वो  जब  से  रहने  लगे ।।
दुनियाँ  वाले  हमसे  जलने  लगे,
ज़माने ने मुझ पर सितम कर दिया ।
बेशरम - बेशरम - बेशरम कर दिया ।।
दिल  की  बातें  हम  कह  न  पाये ।
वो  सामने  आये  हम  शरमाये ।।
खुशियों में ताला कहीं लग न जाये ।
यह  सोचकर  के  हम  घबराये ।।
फ़िराको  में  वो  बहुत  याद  आये,
शरमाना  हमने  कम  कर  दिया ।
बेशरम - बेशरम - बेशरम कर दिया ।।
इस मोहब्बत ने हमको बेशरम कर दिया ।।

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